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आतंक नहीं पाकिस्तान में दरगाहों में बम धमाकों के पीछे ये है असली कारण

वहाबी विचारधारा

आप आए दिन पाकिस्तान की दरगाहों में बम विस्फोटों की खबर पढ़ते होंगे.

उस वक्त आप सोचतें होंगे कि ये आतंकी पाकिस्तान में दरगाहों का निशाना बनाकर हमले क्यों करते हैं. जबकि हमला करने वाले आतंकी तो खुद मुसलमान है.

भला एक मुसलमान एक दरगाह या मस्जिद पर क्यों हमला करेगा.

जहां तक भारत की बात है तो अक्सर कहा जाता है कि आतंकी यहां बाबरी  ढांचे को तोड़ने और गुजरात दंगों का बदला बदला लेने के लिए हिंदुओं और मंदिरों को निशाना बनाकर हमले करते हैं.

लेकिन पाकिस्तान तो मुलमान देश है वहां तो यह सब हुआ नहीं, तो फिर वहां दरगाहों और मस्जिदों पर क्यों हमले होते हैं.

उस वक्त आपको यह भी लगता होगा कि पाकिस्तान भी भारत की तरह आतंकवाद से पीढ़ित है. भला वो भारत में क्यों आतंकवादी भेजकर हमले करवाएगा.

चलिए हम आपको बतातें है कि आखिर क्या कारण है कि पाकिस्तान एक मुस्लिम देश होने के बावजूद वहां मस्जिदों और दरगाहों पर हमले होते हैं.

दरअसल, दरगाहों और मस्जिदों पर जो हमले होते हैं उनके पीछे इस्लाम का वहाबी गुट है – वहाबी विचारधारा है. इस गुट का मानना है कि इस्लाम में बुत परस्ती हराम है और दरगाहों में बुत परस्ती होती है. इसलिए यदि घरती पर असली इस्लाम लाना है तो शरिया को सख्ती से नाफिस यानी लागू करना होगा.

इसके लिए इन दरगाहों का समाप्त होना बहुत जरूरी है.

लेकिन अफ्गानिस्तान से लगते पाकिस्तान के सीमावर्ती इस क्षेत्र में सूफीइज्म का प्रभाव बहुत अधिक है. इस कारण कट्टरपंथियों की तमाम रोक के बावजूद इन दरगाहों पर काफी संख्या में लोग जाते हैं.

यही बात कट्टरपंथियों को खटकती है.

इसलिए इन कट्टरपंथियों में एक घड़ा जो वहाबिज्म से अधिक प्रभावित है उसके आतंकी इन मदरसों पर हमले कर लोगों में दहशत पैदा करते हैं ताकि लोग डर से इन दरगाहों में आना छोड़ दें.

इसी प्रकार पाकिस्तान में जिस मस्जिदों में बम धमाके या गोलीकांड में सैंकड़ों लोगों के मरने की खबर आती है वे सभी मस्जिदें शिया समुदाय की होती है. जबकि वहाबी विचारधारा का संबंध सुन्नी फिरके से है.

गौरतलब है कि इस्लाम की यह वहाबी विचारधारा बहुत कट्टर है. बहाबी शियाओं को भी मुसलमान नहीं मानते. यही कारण है कि बहाबी विचारधारा से प्रभावित आतंकी संगठन आईएसआईएस शिया लोगों की गला रेतकर या गोली मारकर उनकी हत्या कर देता है.

वहीं आप पाकिस्तान में दरगाहों में जो हमले की वारदातों के बारे में सुनते हैं उसके पीछे हमलावरों का मकसद भारत की तरह आतंकवाद फैलाना नहीं बल्कि वहाबी विचारधारा का वर्चस्व स्थापित करना है.

16 फरवरी की रात को पाकिस्तान में एक सूफी दरगाह पर हुए आतंकी हमले में 100 से ज्यादा लोगों की मौत के पीछे भी यही कारण है.