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महाराष्ट्र के ऐसे संत जो डाल देते हैं मुर्दों में भी जान- यहाँ हर रोज होते हैं चमत्कार

संत श्री गजानन महाराज

परम पूजनीय श्री गजानन महाराज जी खारे पानी को भी अपनी कृपा से मीठा कर देते हैं.

बीमार व्यक्ति को सही कर देते हैं. गरीबों की झोली भर देते हैं. दुखियारों के दुःख हर लेते हैं और निसंतान माता-पिता को बच्चों का आशीर्वाद देते हैं. शेगांव के संत श्री गजानन महाराज को भगवान् दत्तात्रेय के तीन अवतारों में से एक माना जाता है. गजानन जी महाराज ने शुरू से ही अपनी दया से प्राणियों का भला किया था. गजानन जी की सबसे बड़ी ख़ास बात यह रही थी कि इन्होनें कभी खुद को ईश्वर ने बुलवाया था.

आज जब शेगांव के संत श्री गजानन महाराज शरीर रूप में बेशक संसार जगत में नहीं हैं किन्तु बाबा के चमत्कारों को आज भी भक्त हर रोज महसूस कर रहे हैं. श्री गजानन महाराज जी के मात्र एक स्पर्श से कुष्ठ जैसा भयानक रोग भी खत्म होते देखा गया था. आज भी हर रोज महाराष्ट्र के शेगांव में गजानन जी के आश्रम में हर रोज लाखों लोगों को भोजन रूपी प्रसाद कराया जा रहा है. इस प्रसाद के बारे में बोला जाता है कि यदि कोई व्यक्ति सच्चे दिल से इस प्रसाद को ग्रहण करता है तो उसके भारी से भारी पाप भी सैकंड में खत्म हो जाते हैं.

तो आइये आज हम आपको शेगांव के संत श्री गजानन महाराज जी के दर्शन कराते हैं और साथ ही साथ ऐसे सच्चे संत के कथा सुनाकर आपके दुखों को कम करने की कोशिश करते हैं-

जब पहली बार संत गजानन जी नजर आये थे

संत श्री गजानन महाराज

संत श्री गजानन महाराज कहाँ से आये थे और भारत में किस जगह इनका जन्म हुआ था इसका कोई प्रमाण तो आज तक नहीं मिल पाया है.

यह बात कुछ 23 फरवरी 1878 की बताई जाती है जब शेगांव गाँव में एक धनी परिवार में बच्चा होने की ख़ुशी से गाँव को भोजन कराया जा रहा था. इस दावत मे सभी तरह के भोजन थे. तभी गाँव में एक जमींदार यह देखता है कि एक बालक तो साधारण सा दिख रहा है वह झूठे पत्तलों में से चावल लेकर खा रहा था तब जमींदार ने इस बालक को साफ़ खाना खाने को बोला और यह सुनकर गजानन जी ने जवाब दिया था कि ”अन्नं ब्रम्हेति” अर्थात अन्न ब्रम्ह स्वरुप है और उसे व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिए.

तो प्रकार से संत श्री गजानन महाराज सर्वप्रथम गाँव में नजर आये थे.

इसके बाद गजानन जी ने गाँव में कई बार अपने ईश्वर रूप के चमत्कार लोगों को दिखाए थे. झूठे पत्तल और अन्न की कहानी से इस संत के महिमा का पता चलता है. आज इस दौर में इस तरह के संत का मिलना वाकई मुश्किल काम है.

संत श्री गजानन महाराज

तब भी एक बात इन संत जी के लिए काफी मशहूर थी कि इनके भक्तों ने जब इनको जान लिया था कि गजानन जी साक्षात भगवान के रूप हैं तो सभी लोग इनके लिए महंगा खाना, महंगे कपड़े और ना जाने क्या-क्या चीज उपहार में लाते थे कि गजानन जी का मोह इन चीजों में कभी नहीं रहा था. वह कभी इन चीजों को खुद के पास नहीं रखते थे. वह सभी के सामने इन चीजों का दान कर देते थे. आज भी शेगांव में जहाँ इनका समाधी स्थल है वहां बने मंदिर में दान जैसी चीज को महत्व नहीं दिया जाता है.

वर्तमान में शेगांव के संत श्री गजानन महाराज जी आश्रम में एक राम मंदिर और हजारों साल पुरानी हनुमान जी की प्रतिमा रखी हुई है. यहाँ जाने पर आपको इस बात का अनुभव हो जायेगा कि गजानन जी महाराज जी ने कितनी शांति और धैर्य के साथ इस स्वर्ग जैसी जगह का निर्माण किया है. 

गंगाधर तिलक थे संत श्री गजानन महाराज के बड़े भक्त

संत श्री गजानन महाराज भगवान दत्तात्रेय के तीसरे और अंतिम अवतार बताये जाते हैं. साल 1910 में बेशक गजानन जी महाराज ने समाधि ले ली थी किन्तु इससे पहले संत जी के एक बड़े भक्त गंगाधर तिलक भी रहे थे. अक्सर वह गजानन जी से मिलने यहाँ गाँव में आया करते थे. इसके अलावा गजानन जी महाराज के बारें में यह बात कही जाती है कि आज भी अगर कोई भक्त संत गजानन जी के दर्शन करने आश्रम में आता है तो वह निश्चित रूप से मन चाहा वरदान प्राप्त करता है.

तो अगर आप अपनी किसी समस्या को लेकर काफी चिंतित हैं या आपकी समस्या कहीं हल नहीं हुई है तो आपको एक बार संत श्री गजानन महाराज के महाराष्ट्र आश्रम में जरुर आना चाहिए.