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दक्षिण भारत की नहीं बल्कि इस मराठा शासक की देन है ये लज़ीज सांभर !

मराठा शासक की देन है सांभर

इडली, वड़ा और डोसे के साथ परोसा जानेवाला सांभर खाने में काफी स्वादिष्ट और लज़ीज लगता है. हालांकि सांभर को दक्षिण भारत के प्रमुख व्यंजनों में से एक माना जाता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले सांभर बनाने की शुरूआत कहां से हुई थी और इस व्यंजन को सबसे पहले किसने बनाया था.

अगर आप इस व्यंजन को दक्षिण भारत की देन समझते आ रहे हैं तो चलिए हम आपकी इस गलतफहमी को दूर कर देते हैं.

इस मराठा शासक की देन है सांभर

दरअसल एक बार महाराष्ट्र से शूरवीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी महाराज शाहुजी महाराज से मिलने के लिए तमिलनाडु के थंजावुर पहुंचे.

थंजावुर के महाराजा शाहुजी के शाही किचन में उस दिन मराठी व्यंजन आमटी बनाने की तैयारी की जा रही थी जिसमें मूंग दाल का इस्तेमाल किया जाता है और जो स्वाद में खट्टा होता है.

लेकिन उस दिन मूंग दाल की जगह मटर का इस्तेमाल किया गया और कोकम ना मिलने पर उसमें खट्टापन लाने के लिए इमली डाला गया. जब ये व्यंजन बनकर तैयार हो गया तब इसे दरबार में पेश किया गया. इस व्यंजन को दरबार में मौजूद सभी लोगों ने खूब पसंद किया.

बताया जाता है कि इस लज़ीज व्यंजन को सबसे पहले संभाजी महाराज ने बनाकर तैयार किया था इसलिए इसका नाम सांभर रख दिया गया.

थंजावुर में आज भी बोली जाती है मराठी भाषा

तमिलनाडु के थंजावुर में पहली बार मराठा शासक संभाजी ने सांभर का इजात किया था लेकिन आज भी यहां पुरानी मराठी भाषा बोली जाती है जिसमें तमिल भाषा का मिश्रण देखा जाता है. आज भी यहां मराठा शासक के वंशज थंजावुर के मंदिर की देखरेख करते हैं.

आज तमिलनाडु ही नहीं बल्कि देशभर में सांभर का सेवन बड़े ही चाव से किया जाता है. सिर्फ सांभर ही नहीं बल्कि सांभर, भज्जी और स्वीट पोली यानी पुरण पोली जैसे कई व्यंजन महाराष्ट्र की देन है जिसे यहां के लोग बेहद पसंद करते हैं.

बहरहाल सांभर को भले ही पहली दफा तमिलनाडु के थंजावुर में बनाया गया था लेकिन ये मराठा शासक की देन है सांभर. इसे मराठा शासक संभाजी ने बनाया था इसलिए इसका स्वाद महाराष्ट्र के लोगों को भी खूब भाता है.