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पाकिस्तानी खिलाडी भारत में बैन लेकिन पाकिस्तानी आतंकवाद फिर भी कायम!

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26/11/2008, 13/12/2001 और ना जाने कौन-कौन से दिन?

यह सब तारीखें हिन्दुस्तान पर हुए आतंकी हमलों से ताल्लुख तो रखती हैं लेकिन साथ-साथ हम हिन्दुस्तानियों को हमेशा यह याद दिलाती रहेंगी कि पाकिस्तानी आतंकवादियों को हमारे देश में प्रवेश किस तरह मिल जाता है?

कभी-कभी ऐसा लगता है कि भारत में, पाकिस्तान के आतंकवादियों को, पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ियों की तुलना में ज़्यादा आसानी से प्रवेश मिल जाता है!

हमारे देश के राजनेता यदि खेल में बंदिशें लगाने के ज़रिए यह दिखाना चाहते हैं कि वे भारत को महफूज़ रखने में कामियाब रहेंगे तो यह बात सरासर गलत है.

देखिये, क्रिकेट एक महान खेल है जो इंग्लैंड में पैदा हुआ, वहाँ से फिर भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में फैला. यदि हम यह सोचें कि पाकिस्तानी खिलाड़ी भारत में IPL में भाग लेने आएं तो हमारे देश को खतरा होगा, तो यह महज़ एक राजनैतिक पाखण्ड के अलावा और कुछ नहीं.

क्या जब पाकिस्तानी खिलाड़ी दूसरे देशों में क्रिकेट प्रतियोगिताओं में शरीक होने जाते हैं तो क्या उस देश को ख़तरा नहीं होता?

क्रिकेट जैसे खेल को आतंकवाद के आधार पर इस्तेमाल कर, भारत में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को प्रवेश ना देना बिलकुल गलत है.

मुझे पता है कि आप लोग बोलेंगे कि मैं कौन होता हूँ यह सब बोलने वाला.

मैं बताता हूँ कौन हूँ मैं, ‘मैं एक क्रिकेट प्रेमी हूँ’, मैं हर खेल की इज्ज़त करता हूँ, और हम सभी लोगों को उस हर एक चीज़ पर सवाल उठाना चाहिए जो किसी भी खेल को नकारात्मक बना रही हो!

राजनेता भी एक तरह से ठीक ही कहते हैं कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों का भारत में प्रवेश बंद करवाओ क्योंकि पकिस्तान है ही ऐसा देश, है ना?
लेकिन यह बात अगर वे आतंकवाद के सन्दर्भ में कहें तो वह शायद इस देश की जनता के लिए न्याय साबित हो.