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1857 की क्रांति में इस रानी ने लाखों अग्रेजी सैनिकों को हराया था, इतिहास भूल गया सब

1857-rebel

“भारत माता गुलाम हैं सैनिकों, एक गुलाम माँ को आजाद कराना उसके पुत्रों का परम कर्तव्य बनता है. अभी जो लड़ाई शुरू हुई है यह सही समय है कि हम इन गौरों से अपना साम्राज्य वापस लें और दिखा दें इनको कि हममें कितना दम है. क्या आप सभी तैयार हैं? “

दूसरी तरफ से हजारों सैनिक हाँ बोलते हैं. जय भवानी, जय भवानी..

आपको पढ़ने में बेशक यह कोई फ़िल्मी सीन लग रहा होगा. लेकिन बात सन 1857 की है.

भारत में 1857 की क्रांति का बिंगुल बज गया था.

अनुपनगर की रानी अंग्रेजों से अपना राज वापस चाहती थीं. पर इस सपने को पूरा तभी किया जा सकता था जब लाखों अंग्रेजी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया जाए.

क्या था पूरा मामला:-

चौहान रानी अनूपनगर के राजा प्रताप चंडी सिंह की पत्नी थीं. राजा के मरने पर रानी ने ही अनूपनगर का शासन सँभाला. लेकिन अंग्रेज पहले ही फरमान निकाल चुके थे इस तरह के राज्यों को अपने अधीन करने का जिनके पास उत्तराधिकारी नहीं था. अन्य रियासतों की तरह कँपनी सरकार ने अनूपनगर को भी हड़प लिया था. लेकिन चौहान रानी अवसर की तलाश में थीं. सालों पूरानी आग को दिल में जलाये रखा. रानी को दुःख था कि अब हम गुलाम बन चुके हैं. जनता पर अत्याचार किया जा रहा है.

दिल्ली के अंतिम शासक बहादुर शाह जफ़र ने 1857 की क्रांति में भाग लेने का निर्णय लिया. सभी को लग रहा था कि इस लड़ाई में अंग्रजों को हराकर देश आजाद करा लिया जाए.  बहादुर जफर ने भारत के अनेक राजाओं और नवाबों को पत्र लिखकर क्रांति में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया. ऐसा एक पत्र अनुपनगर भी आया और रानी ने लड़ाई में हिस्सा लेना स्वीकार कर लिया था.

चौहान रानी ने बहादुर शाह की ओर से 1857 की लड़ाई में भाग लिया. संघर्ष जमकर हुआ. अंग्रेजों की लाखों की सेना से दो-दो हाथ हुए. इतिहास में इस लड़ाई का जिक्र बहुत कम जगह है. इसलिए अधिक विवरण तो नहीं है किन्तु बताते हैं कि कुछ हज़ारों सैनिकों की सेना ने लाखों अंग्रेजी सैनिकों को धूल में मिला दिया था. रानी की बहादुरी और जोश से युद्ध क्षेत्र का हर सैनिक दीवाना बन गया था. यह बात अंग्रेजी आलाकमानों के गले नहीं उतर रही थी.

रानी चौहान ने मई 1857 में अपने खोए हुए राज्य पर अधिकार कर लिया. ब्रिटिश सिपाही मारे गए. उनके ख़ज़ाने लूट लिए गए. वापस लिया गया शासन 15 महीने तक चला. 1858 के अंत होते-होते ब्रिटिश सरकार ने क्रांति को कुचलने में सफलता प्राप्त कर ली और अनूपनगर फिर अंग्रेजों के अधीन हो गया.

रानी कहाँ गयी कोई पक्का सबूत नहीं:-

वापस अंग्रेजों के आने बाद कुछ बताते हैं कि रानी जंगलों में अपने सैनिकों के साथ भाग गयीं. एक वर्ग बोलता है कि रानी ने खुद को मार दिया ताकि अंग्रेज रानी को पकड़कर उनके साथ दुर्व्यवहार ना कर सकें.

लेकिन बात जो भी हो रानी चौहान की बहादुरी को इतिहास ने भुलाकर बहुत बड़ी गलती की है. हमें रानी पर गर्व है और रहेगा.