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सावधान! 9 फरवरी से है गुप्त नवरात्री, मन चाही मुराद हो सकती है पूरी

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बहुत ही कम लोग जानते हैं कि हिन्दू धर्म में मात्र दो ही नवरात्री नहीं होती हैं.

कुल चार नवरात्रों में से एक नवरात्रि गुप्त नवरात्री होती है. जो तंत्र साधना में अहम योगदान रखती हैं. जो लोग और साधू संत तंत्र विद्या में सिद्ध होना चाहते हैं उनके लिए यह समय ही सर्वोतम समय बताया जाता है. इन नौ दिनों में भी उसी तरह से नौ देवियों की पूजा की जाती है. और हर दिन उस माता देवी जी से एक तंत्र विद्या का वरदान माँगा जाता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है. इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं. इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 09 फरवरी से 17 फरवरी तक रहेगी.

क्या विशेष है गुप्त नवरात्रि में: –

इन नवरात्रों में प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल और महाकाली जी की आराधना की जाती है. गुप्त नवरात्रों के बारें में बताया जाता है कि इनमें अगर सच्चे दिल से माता को याद किया जाये तो वह इंसान के लिए बहुत लाभदायक रहता है. कुछ संत तो यह भी बताते हैं कि धन और व्यवसाय के लिए यह नवरात्रे बहुत शुभ होते हैं.

आप बेशक नौ दिन व्रत नहीं कर रहे हैं लेकिन यदि प्रातः और साय काल गुप्त रूप से नौ देवियों और खासकर माँ काली जी की आराधना करते हैं तो यह समय आपके सभी कष्टों को खत्म कर सकता है.

यहाँ ध्यान देनी वाली बात यह होती है कि इन नौ दिनों में झूठ, संभोग, छल-कपट और किसी गरीब का अहित करने से बचना चाहिए. यदि आप इन नौ दिनों में अपनी बुराईयों को छोड़ने का प्रयास करते हैं तो माँ के आशीर्वाद से आप निश्चित रूप से लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

बस ध्यान दें कि इसमें आप अगर घर रहकर माँ की पूजा करते हैं तो अपनी स्त्री, माता-पिता के अलावा किसी अन्य को इस बात का पता ना हो.

तंत्र में सिद्ध होने के लिए शमशान में पूजा:-

अगर किसी व्यक्ति को तंत्र साधना में सफल होना है तो इन दिनों में उसे किसी सिद्ध शमशान घाट पर जाकर पूजा करनी जरुरी होती है. देश के प्रमुख चार शमशानों पर इन दिनों काफी संख्या में साधू संत जमा होते हैं.

पूजा विधि:-

सामान्य लोगों के लिए इन दिनों में पूजा की विधि वही सामान्य नवरात्रों की तरह ही रहती हैं. उसी तरह से कलश स्थापना करनी होती है और वही व्रत की विधि भी होती है. नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए. घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए.

अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए.

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