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भाभी जी घर पर है – सीरियल के सब्जीवाले की दिलचस्प दास्ताँ !

ताज़ी हरी सब्जी लेलो… सोलह बरस कुंवारी लड़की के जैसी भिन्डी… इठलाती बलखाती शर्माती हुई भिन्डी… दिलवालों के दिल पर छा जाने वाली भिन्डी… अजी सस्ते में ले लो ये सस्ती सस्ती भिन्डी…

जी हाँ इस अनोखे सब्जी वाले की दास्ताँ हम आपको आज बताने जा रहे हैं जो भाभी जी घर पर हैं सीरियल में गा-गा कर हज़ारों रूपये के भाव में सब्जी बेचता है।

संदीप कुमार यादव

हम बात कर रहे हैं संदीप कुमार यादव की जिन्होंने सब्जी वाले के किरदार को निभाकर घर-घर अपनी अलग पहचान बनाई।

मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले संदीप कुमार यादव एक्टर नहीं बल्कि पत्रकार थे लेकिन एक्टिंग के कीडे के आगे इनका बस नहीं चला और ये फिल्म जगत में छाने को बेताब हो गए.

संदीप कुमार यादव के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं पर आइये डालते हैं एक नज़र

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पढ़ाई में मन नहीं लगता था…

संदीप कुमार यादव बताते हैं बचपन से ही पढ़ने से जी चुराता था, जबकि सारे करियर उसी से शुरू होते हैं. चिंता रहती थी की क्या फिर मैं कुछ नहीं कर पाउँगा। बचपन में क्लास सेवन में पहली बार मैंने रामलीला में लक्ष्मण का किरदार निभाया और पहली ही बार में मुझे बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिल गया। ये मेरे लिए बड़ी बात थी. उस समय मैं नैनीताल में रहता था क्योंकि पापा की पोस्टिंग वहीँ थी।

इसके बाद बोर्ड एग्ज़ाम के बाद गर्मियों की छुट्टी हुई तो मैंने दो महीने की एक्टिंग वर्कशॉप की भारतेंदु नाट्य अकादमी में। वही से अभिनय सीखना शुरू किआ, वहीँ से इंटरेस्ट डेवेलप हुआ, फिर बीए, एमए करने के बाद मैंने लखनऊ में ही थिएटर करना शुरू किया। सीखने का बहुत मन था तो मन हुआ इसी फील्ड की प्रॉपर पढ़ाई करूँ। इसमें कमी नहीं की, फिर थिएटर करते करते गुरु मिलते गए मेरी कला निखरती गई, सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, ललित सिंह पोखरिया, सुशील कुमार सिंह ने सिखाया। उन्हें लगता था की मैं अच्छा एक्टर हूँ उन्होंने ही मेरा मार्गदर्शन किया ।

हबीब तनवीर के शो से पड़ी आमिर खान की नज़र

हबीब तनवीर जी के थिएटर ग्रुप से जुड़ना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी क्योंकि हबीब साहब थिएटर के जाना माना नाम थे. उनका ग्रुप आल ओवर इंडिया शोज़ करता था। तो भोपाल में एक शो करने के दौरान आमिर खान भी शो में आये थे, उन्होंने शो देखा और सभी कलाकारों की बहुत तारीफ की। उन्होंने कहा, अपनी फिल्म में मैं आपके कलाकारों को लूंगा उसी के एक साल बाद पिपली लाइव में काम करने का मौका मिला। इसके बाद प्रकाश झा की फिल्म चक्रव्यूह में ये मनोज बाजपई के साथ ये नज़र आये. हेट स्टोरी में भी इनहे किरदार निभाने का मौका मिला। इसके बाद इन्होंने क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया, दिल आशना है, भाभीजी घर पर हैं सीरियल में भी अभिनय किया।

आशु कवि और बेहतरीन गायक

बहुत कम लोगों को पता है की संदीप कुमार यादव आशु कवि भी हैं। इतना ही नहीं अच्छा गाते भी हैं। किसी भी टॉपिक पर गीत बना देना, लेखक के तौर पर भी ये घोस्ट राइटिंग करते हैं। बेहतरीन आवाज़ के मालिक होने के कारण ये वॉइसओवर आर्टिस्ट के तौर भी भी जाने जाते हैं। संदीप कहते हैं, साहित्य मेरी कमज़ोरी है, साहित्य पढ़ना लिखना मुझे हमेशा से आकर्षित करता है।

ड्रीम है ईमानदार लोगों के संघर्ष पर आधारित काम करूँ

एक एक्टर होने के नाते हमें हर तरह के किरदार निभाने होते हैं लेकिन एक मूवी आई थी मनोज बाजपेयी की शूल इसमें उन्होंने एक ईमानदार इंस्पेक्टर का किरदार निभाया था जो सिस्टम के चरणव्यूह में फंस कर कितना बेबस हो जाता है किस तरह खुद को प्रूव करता है। एक ऐसा करैक्टर जिसकी लोग ये समझें ई अगर कोई गलत बनता है तो क्यों बनता हैं तरह बनने के पीछे क्या कारण है। कुछ इस तरह का काम मिले तो मज़ा आएगा करने में।

जल्द रिलीज़ होगी लखनऊ टाइम्स

संदीप कुमार यादव कहते हैं, मेरी कई फिल्में ऑफ़बीट होने के कारण नहीं आ पाई क्योंकि इनमे प्रॉफिट कम होता है और दर्शकों का वर्ग भी है। हालांकि पिछले साल हमने एक फिल्म बनाई लखनऊ टाइम्स जो इस साल नवम्बर के अंत तक या जनवरी में रिलीज़ होने की सम्भावना है। ये फिल्म राजनीतिक परिवेश पर आधारित फिल्म है। इसमें मैंने यूपी के सीएम अखिलेश यादव का किरदार निभाया है, जो नई सोच का आदमी है, जो सिस्टम से जूझता है, साइंस और टेक्नोलॉजी की बात करता है, जो समाज के लिए काम करना चाहता है, उसे किस तरह अपनों का विपक्ष का सामना करना पड़ता है और किसतरह वो जीतता है।

बॉम्बे सबको रोटी देता है किसी को भूख नहीं सुलाता

संदीप कहते हैं मुंबई आपको संस्कार देता है और सिस्टम में काम करना सिखाता है। मुंबई मिनी इंडिया जैसा है. ये ऐसा शहर है जहाँ कोई भूखा नहीं होता। बॉम्बे में हर मेहनतकश लोगों के लिए जगह है। यहाँ सबको मुकाम किसी को जल्दी तो किसी को देर से पर मिलता ज़रूर है। ये ऐसा शहर है जो कभी सोता नहीं। चौबीस घंटे यहाँ लोग काम करते हैं और लाइफ एन्जॉय भी करते हैं। हालांकि बॉम्बे मे रहने के बाद भी मेरा लखनऊ का मोह छूट नहीं पाता यही कारण है की मैं जब भी लखनऊ मिस करता करता हूँ यहाँ भाग कर आ जाता हूँ।