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कहीं केजरीवाल का ही विकेट न ले उड़े सिसौदिया की गुगली

आम आदमी पार्टी पंजाब

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली को छोड़कर पंजाब के मुख्यमंत्री के दावेदार हो सकते हैं.

आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने चुनावी पिच पर गुगली फेंक तो दी है लेकिन कहीं ये गुगली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ही विकेट न ले उड़े. क्योंकि मनीष सिसोदिया के बयान के बाद विपक्षी दलों के साथ आम आदमी पार्टी की पंजाब प्रदेश की शाखा से जो प्रतिक्रिया आई है उसको देखकर तो यही लगता है कि यह दांव अरविंद केजरीवाल पर ही उल्टा पड़ गया है.

आम आदमी पार्टी पंजाब के सांसद भगवंत मान ने कहा है कि पंजाब में आप का मुख्यमंत्री कोई पगड़ीधारी यानी सिख ही होगा.

इसका मतलब साफ है कि आम आदमी पार्टी पंजाब यूनिट में भी आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बयान को लेकर विरोध हो रहा है.

गौरतलब है कि मनीष सिसोदिया मोहाली में बलौंगी की चुनावी रैली के दौरान कहा था कि लोग केजरीवाल को ही अपना सीएम मानकर आप को वोट दें. यानी आगामी पंजाब विधान सभा में यदि आम आदमी पार्टी पंजाब को बहुमत मिलता है तो अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री होंगे.

मनीष सिसोदिया तय पटकथा के मुताबिक यह बयान दे तो गए लेकिन केजरीवाल उसमें फंस गए.

अब आप भले ही इसको लेकर सफाई दे लेकिन जो संदेश जाना था वो तो चला ही गया और विपक्षी दलों ने इसको हाथोंहाथ लपक भी लिया.

अरविंद केजरीवाल को आप की ओर से पंजाब के मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बताएं जाने पर दिल्ली भाजपा का कहना है कि ‘पांच साल-केजरीवाल’ का नारा देकर लोगों को गुमराह करने वालों की असलियत सामने आ गई है.

वहीं इस बयान के बाद केजरीवाल को लेकर पजांब में चर्चा शुरू हो गई है कि सत्ता के लिए केजरीवाल जब दिल्ली को छोड़ सकते हैं तो कल पंजाब को छोड़कर कहीं ओर भी जा सकते हैं. जो व्यक्ति दिल्लीवासियों से वादा करके उनका नहीं हुआ, वह पंजाब की जनता के साथ कैसे न्याय कर पाएगा.

तो दूसरी ओर दिल्ली की जनता के बीच भी आम आदमी पार्टी के इस बयान का बहुत गलत संदेश गया है.

कहीं ऐसा न हो इसके बाद अरविंद केजरीवाल की छवि रणछोड़दास की न बन जाए. यदि ऐसा हुआ तो दिल्ली में भविष्य में जो भी चुनाव होगा उसमें केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी दोनों को भारी कीमत चुकानी होगी.

गौरतलब है कि जनता ने केजरीवाल की बातों पर ही भरोसा करके ही उनकी पार्टी को बंपर सीटों से चुनाव जिताया था. अब जिस प्रकार दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का नाम पंजाब के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया है उससे तो यहीं लगता है कि वे दिल्ली की जनता को मझधार में छोड़कर अपनी सत्ता लालसा की पूर्ति करने में लगे हैं.

केजरीवाल सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं. कुर्सी के आगे उनके लिए अपने वादों की भी कोई अहमियत नहीं है.